Mustard Prices

Mustard Prices: खराब मौसम के चलते बढ़े सरसों के दाम, तेल की कीमत छुएगी आसमान, नहीं शुरू हो पाई सरकारी खरीद

सरसों के दाम: खराब मौसम के कारण सरसों के दाम, तेल की कीमत छुएगी आसमान, नहीं शुरू हो पाई सरकारी खरीद

 

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पिछले चार दिनों से बारिश में बारिश के साथ ही मौसम लगातार खराब रहा है। जिससे सरसों की कटौती में करीब 20 प्रतिशत तक नुकसान होता है और सरसों की कटी का नतीजा भीग जाने के कारण किसान घाटे को मंडियों में बेचने के लिए भी नहीं ला रहे हैं।

पुनहाना, योगेश सैनी। पिछले दिनों हुई बारिश और खराब मौसम के चलते सरसों का बांध 100 से 250 रुपये तक बढ़ गया। जिले की मंडियों में अचानक आवक कम होने के कारण बांध बनते हैं। वर्तमान में सरसों 5000 से लेकर 5450 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है।

बता दें कि पिछले चार दिनों से जिले में वर्षा आने के साथ ही मौसम लगातार खराब रहा है। जिससे सरसों की फसल में करीब 20 प्रतिशत तक नुकसान है और सरसों की कटी फसल भीग जाने के कारण किसान फसल को मंडियों में बेचने के लिए भी नहीं ला रहे हैं। सीजन में आवक के अचानक कम होने के कारण सरसों के दाम बढ़ गए हैं। जहां अब से पहले 4500 से 5200 रुपये प्रति क्विंटल सरसों बिक रही थी वहीं अब 5000 से 5450 रुपये प्रति क्विंटल सरसों बिक रही है।

इन मानकों के आधार पर सरसों का तय हो रहा दाम

जिले की मंडियों में आ रही सरसों में खरीददार सरसों में नमी की प्रतिशता और सरसों में तेल की मात्रा के आधार पर दाम तय क रहे हैं। अगर सरसों में सात प्रतिशत नमी है और तेल की मात्रा 42 प्रतिशत है तो उसे 5450 रुपये तक में प्रार्ईवेट तौर पर खरीदा जा रहा है। वहीं जैसे-जैसे नमी की प्रतिशता बढ़ती है और तेल की मात्रा घटती है तो वैसे-वैसे ही दाम घटते जा रहे हैं।

जिले की मंडियों में 66335 क्विंटल हो चुकी है आवक

जिले की मंडियों में अब तक 66335 क्विंटल सरसों की आवक हो चुकी है। जिनमें नूंह बाजार में 7149, तावडू में 16696, फिरोजपुर झिरका में 7659 और पुनाना बाजार में 34831 क्विंटल की अवेक हो चुकी है।

प्रशासन के 20 मार्च से सरकार की सरकारी खरीद करने के दावे करने वाले फेल

मार्केटिंग बोर्ड के जिला विपणन प्रवर्तन राम मेहर सिंह जागलान सहित प्रशासन ने 20 मार्च से सरसों की सरकारी खरीद का दावा किया था, लेकिन दावों के दो बाद तक जिले में सरकारी खरीद शुरू नहीं हो सकती और जिले की मंडियों में प्रशासन के दावों से पूरी तरह से फॉल नियर आई। इससे मजबूर किसानों को अपनी फसल को औने-पौने दामों में बेचना पड़ रहा है और इससे उन्हें काफी आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।

 

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