हीरो और होंडा अलग क्यों हुए? क्यों अलग-अलग हुई हीरो कंपनी और हौंडा कंपनी ये थी रोचक कहानी, सायद आपको ये पता नहीं होगा
हीरो और होंडा अलग क्यों हुए ? दोस्तों आपके मन में एक सवाल जरूर आता है कि होंडा, हीरो होंडा अलग हुए ये कंपनी हीरो और हौंडा क्यों फाइनल हो गए शुरुआती दौर में दोनों एक साथ काम करते थे उसके बाद धीरे-धीरे कैसे यह इसलिए मिला कि हीरो अपना अलग कारोबार करने लगा और होंडा अपना अलग कारोबार शुरू कर दिए हीरो और होंडा के कॉलेब्रेशन से बनी यह कंपनी दुनिया में सबसे अच्छा टूर व्हीकल बनाती थी। लेकिन कंपनी के टैग में होने के बाद भी यह अलग क्यों हुआ और हौंडा ने भारत की कंपनी के हीरो को धोखा दिया। हीरो होंडा, हीरो होंडा अलग क्यों हुए
वैसे तो हम सभी जानते हैं कि एक्चुअली हीरो एक साइकिल बनाने वाली कंपनी थी जिसकी स्थापना ब्रजमोहन लाल मुंजलाल ने 1956 में की थी और 1975 तक हीरो पूरे देश में मशहूर साइकिल बनाने वाली कंपनी थी और भारतवर्ष में उनका नाम अच्छा खासा चल रहा था था
और यही नहीं बल्कि हीरो कंपनी देश से लेकर के विदेशों तक साइकिल कंपनी ऐसा बनेगी जो कि दुनिया भर में राज करना शुरू कर दी थी और इस तरह वर्ष 1986 तक यह कंपनी सिर्फ इंडिया ही नहीं बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी साईकल बनाने वाली कंपनी में बेसुमार की जाने लगी लेकिन उसी दौरान उन्होंने देखा विदेशी मार्किट में मोटरसाइकिल का बिज़निस भी काफी तेजी से बढ़ रहा है ।
लेकिन इंडिया में तो लोगों के पास सिर्फ स्कूटर और बिक्की का ही ऑप्शन था इसलिए इस गैप को फिल करने के लिए इंडियन मार्किट में मोटरसाइकिल उतारना चाहते थे लेकिन उस समय हीरो के साथ एक परेशानी ये थी कि उनके पास इंजन बनाने की टेकनोलॉजी नहीं थी जिसके कारण उनके लिए मोटरसाइकिल बनाना मुमकिन नहीं था ।
Hero ने अपने इस प्लान को सच में बदलने के लिए किसी विदेशी कंपनी के साथ कॉलेब्रेशन करने के बारे में सोचा, अब उस समय भारत में लिब्रलाइजेशन भले ही नहीं आया था लेकिन उस समय गवर्नमेंट इंडियन कंपनीज़ को ये मौका देती थी अगर वो चाहे किसी भी विदेशी कंपनी के साथ टाई अप करके इंडिया में अपना बिज़निस एक्सपैंड कर सकते हैं ।
इसलिए ब्रजमोहन लाल ने हीरो के थ्रू दुनिया की सबसे पहली बड़ी मोटरसाइकिल बनाने वाली जापानी कंपनी हौंडा के पास में अपना प्रोपोज़ल भेजा । और उस समय कोई भी विदेशी कंपनी भारत में डायरेक्ट अपना बिज़निस स्टार्ट नहीं कर सकती थी । ऐसे में इस प्रोपोज़ल के जरिए हौंडा को इंडियन मार्किट में प्रवेश करने का एक अच्छा मौका मिल गया था जिसे हौंडा खुद भी गवाना नहीं चाहती थी अब दोनों कंपनीज़ ने 1984 में एक दूसरे के साथ हाथ मिला लिया ।
हीरो और हौंडा के बीच एग्रीमेंट हुआ कि हीरो बाइक के लिए बॉडी बनाएगा तथा हौंडा इंजन सप्लाई करेगा इसके अलावा उन्होंने एक NOC भी साइन की थी जिसके अनुसार दोनों कंपनीज़ फ्यूचर में कभी भी एक दूसरे के सामने अपना प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगीं और दोनों ही कंपनीज़ इन कंडीशन्स से सैटिस्फाइड थी जिसके बाद से डील फाइनल हो गयी ।
HeroHonda की शुरुआत
और यहीं से हीरोहौंडा की शुरुआत हुई । अब कागज़ी कार्यवाही करने के बाद पहला प्लांट हरयाणा में बनाया गया जहाँ से हीरो होंडा ने मिलकर तुरंत ही बाइक की मैनुफैक्चरिंग करनी स्टार्ट कर दी । 1985 में इन्होंने अपनी पहली बाइक CD 100 लॉन्च की और यह बाइक बहुत ज्यादा पॉपुलर हुई क्योंकि बाइक इंडिया में एक नया कांसेप्ट था जो लोगों को बहुत पसंद आया और दूसरा इस बाइक का माइलेज़ बहुत ही शानदार था ।
इसके अलावा इन्होनें इस बाइक को उस प्राइस सेगमेंट पर लॉन्च किया जो हर मिडिलक्लास के लिए अफोर्डेबल हुआ करता था साथ ही इन्होंने अपना मार्केटिंग कैंपेन भी प्रभावित तरीके से तैयार किया था जहाँ इनकी टैगलाइन थी – Fill it, Shut it, Forget it. (पेट्रोल भरो और भूल जाओ) । इस टैगलाइन का भी लोगों पर काफी असर हुआ और जनता इस बाइक की दीवानी हो गयी क्योंकि उन्हें स्कूटर वाला माइलेज़ इस बाइक में मिल रहा था ।
HeroHonda की कहानी में ट्विस्ट
सबकुछ अच्छा चल रहा था लेकिन अचानक जापानी करेंसी में उछाल आ गया जिसकी वजह से जितने भी स्पेयर पार्ट्स जापान से आते थे वो काफी महेंगें होने लगे और हीरो होंडा को अपनी बाइक अफोर्डेबल बनाने में काफी दिक्कतें आने लगी । और एक दूसरी प्रॉब्लम ये भी थी कि हीरो होंडा के कई सारे कंपटीटर इंडियन मार्किट में आ चुके थे जैसे सुज़ुकी, यामाहा, बजाज व TVS लेकिन ये सारे ब्रांड्स शहरी इलाकों में रहने वाले वेल्थी कस्टमर्स पर ही फोकस करते थे लेकिन वहीं हीरो होंडा को देखा जाए तो उनका मैन फोकस हाई मिडिलक्लास तथा लोअर मिडिल क्लास कस्टमर पर था ।
जो एक अफोर्डेबल सॉल्यूशन चाहते थे और यही वजह थी कि हीरो होंडा की बाइक सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि पूरे भारत मे सबसे ज्यादा बिकती थी और ये सब देखते हुए कंपनी अपनी बाइक का प्राइस नहीं बढ़ाना चाहती थी यहाँ तक कि इसी कारण कंपनी को लंबे समय तक लॉस का भी सामना करना पड़ा लेकिन 1990 में जब डॉलर का एक्सचेंज प्राइस रेगुलेट हुआ तो फिर हालत थोड़ी सुधरनी शुरू हुई और देखते ही देखते कुछ ही समय मे हीरो होंडा एक बार फिर से अपनी बाइक पर प्रॉफिट कमाने लगी अगले कुछ ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट दस मिलियन डॉलर को भी क्रॉस कर गया जोकि उस जमाने मे एक बहुत बड़ा नंबर था ।hero honda kyo hue alag
HeroHonda में आपसी मतभेद
hero aur honda kyon alag hue , अब यहाँ तक तो चीजें ऊपर ऊपर से काफी अच्छी नज़र आ रही थी लेकिन अंदर से सिचुएशन बहुत पहले से ही खराब होनी शुरू हो गई थी दरअसल कंपनी के मैनेजमेंट में शुरू से ही कई तरह की प्रॉब्लम चल रही थी जैसे कि हौंडा तो अपनी बाइक्स अमेरिका और रूस जैसे डेवेलोप कंट्री में सेल कर रही थी लेकिन हीरो हौंडा को हौंडा की तरफ से फॉरेन में अपनी बाइक सेल करने की परमिशन नहीं दी यानी एक तरफ तो हीरो साईकल मनुफैक्चर के तौर पर उस समय दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी ।
यहाँ तक कि गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी इनका नाम दर्ज था वहीं दूसरी तरफ हौंडा की वजह से वो अपनी बाइक फॉरेन मार्किट में सेल नहीं कर पा रही थी । असल मे इंडिया के बाहर हीरो होंडा को सिर्फ नेपाल, भूटान और बांग्लादेश जैसे आस पास की कन्ट्रीज़ तक ही अपनी बाइक को एक्सपोर्ट करने की अनुमति थी ।
जिसकी वजह से हीरो कंपनी इंटरनेशनल मार्किट में जो पोजीशन चाहती थी वो उसे नहीं मिल पा रही थी अब एक तरफ तो हौंडा काफी तेज़ी से ग्रो कर रहा था लेकिन वहीं दूसरी तरफ हीरो एक लिमिटेड स्पेस में सीमित होकर रह गया । जिसकी वजह से इन दोनों कंपनीज़ के आपसी रिश्ते भी खराब होने लगे इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार हीरो बाइक की बॉडी बनाती थी और हौंडा इंजन । अब अगर हीरो को अपना बिज़निस एक्सपैंड करने के लिए अलग भी होना पड़ता तो वे ऐसा नहीं करते क्योंकि वो इंजन के लिए अभी तक पूरी तरह से हौंडा पर डिपेंड थे । hero honda alag kyu hua
लेकिन उन्हें अच्छी तरह से ये भी समझ आ चुका था कि अगर उसे हौंडा से अलग होना है तो फिर इंजन मैन्युफ़ैक्चर करना ही पड़ेगा । हीरो ने, हीरो होंडा के हिस्से का जितना भी प्रॉफिट मिलता था वो उसके एक बड़े हिस्से को इंजन बनाने में खर्च करने लगे जिसकी वजह से हीरो और हौंडा के बीच मे दरार और भी ज्यादा बड़ी हो गयी ।
आख़िरकार दोनों कंपनियां अलग हो गयीं
hero aur honda kyu alag huye , अब जैसा कि इन्होंने कॉलेब्रेशन के समय NOC साइन किया था कि ये एक दूसरे के मुकाबले में कभी भी बाइक्स नहीं लॉन्च करेंगें । लेकिन हौंडा ने इसके खिलाफ जाकर साल 1999 में इंडिया के अंदर अपनी एक सेपरेट कंपनी Honda Motercycle and scooter india Pvt Ltd. और फिर उसी प्राइस सेगमेंट में बाइक लॉन्च करना शुरू कर दिया जिसमें हीरोहौंडा की बाइक्स मौजूद थी ।hero our honda kyo alag hua इस तरह अगर देखा जाए
तो इंडियन मार्किट के अंदर हौंडा ने अपनी बाइक्स को हीरो होंडा के सामने लाकर खड़ा कर दिया । जिसकी वजह से हीरो होंडा के कस्टमर्स डिवाइड होने लगे और इसके कुछ सालों बाद हौंडा ने एक्टिवा को लॉन्च करके स्कूटर सेगमेंट में भी प्रवेश कर लिया । अब अगर देखा जाए तो इस पूरे मामले में हौंडा की पांचों उंगलियां घी में थी क्योंकि हौंडा को हीरो होंडा से तो प्रॉफिट हो ही रहा था और अपनी सेपरेट कंपनी से भी अच्छा प्रॉफिट जेनेरेट हो रहा था ।hero honda company alag kyu hui
इन्हीं सभी प्रोब्लेम्स से परेशान होकर हीरो ने हौंडा से अलग होने का फैसला कर लिया और फिर 2010 में जाकर दोनों ही कंपनों अलग अलग हो गयी और हीरो होंडा कंपनी में दोनों ही कंपनीज़ के 26 – 26 % शेयर थे जिसमें से हौंडा ने अपने 26% शेयर हीरो को ही बेचने का फैसला किया और हीरो कंपनी के प्रमोटर ब्रजमोहन लाल ने 1.2 अरब डॉलर में ये शेयर खरीदकर अपनी नई कंपनी हीरो मोटोकॉर्प के नाम से शुरू की । और जब हीरो ने अपनी अलग कंपनी शुरू की थी तो लोगों ने कहा था कि हीरो सर्वाइव नहीं करपायेगी हौंडा के बिना लेकिन आज के समय मे हीरो दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाईकल बनाने वाली कंपनी में सुमार किया जाता ।why hero and honda split
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Q1। हीरो होंडा का विभाजन कब हुआ ? हीरो होंडा क्यों अलग हुए, हीरो होंडा क्यों अलग हुए
हीरो होंडा का बंटवारा 16 दिसंबर 2010 को हुआ था।
Q2। हीरो की बाइक कितने देशों में इस्तेमाल की जाती है ?हीरो होंडा अलग क्यों हुई
करीब 40 देशों में हीरो की बाइक का इस्तेमाल किया जाता है।
हीरो होंडा अलग अलग क्यों हुए?
#अलग अलग क्यों हुए हीरो होंडा कंपनी,?
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हीरो होंडा अलग कब हुआ?